जिंदगी के सफर में हमें धन बनाना है इसके लिए समर्पण का होना बहुत जरूरी है समर्पण इस तरह मजबूत होना चाहिए कि बुरे दिन आने पर भी हम उसमें बदलाव ना कर सकें समर्पण इस तरह मजबूत होना चाहिए की छोटे-छोटे लक्ष्य उसको डिगा ना सके 

     यदि हमारा लक्ष्य वेल्थ क्रिएशन का है वेल्थ क्रिएशन की यात्रा लंबी जाने वाली है और हमारा  समर्पण नहीं है तो कुछ दिन बाद यह यात्रा समाप्त होती है और मैं पुनः गरीब का गरीब हो जाता हूं वेल्थ क्रिएशन छोटी सी रकम से क्रिएट हो सकती है निरंतरता बनी रहनी चाहिए यदि हम निरंतर निवेश नहीं करते तो वेल्थ क्रिएशन मुश्किल सा लगता है 

  समर्पण को यदि समझना है तो एक ऐसा उदाहरण है हमें गेम टीचर मिले जो अपने लक्ष्य के प्रति बिल्कुल समर्पित थे कि मेरा कोई शिष्य ओलंपिक में जाकर एक मेडल अवश्य जीते लेकिन उनके पास इस तरह का मौका नहीं मिलता था हमने पूछा कि ऐसा क्यों है उन्होंने उनका जवाब था कि शायद में समर्पित नहीं हूं मुझे एक बात समझ में आई जब मैंने उनको समर्पण समझाया 

मेरे सवालों के उत्तर में जो उनको समझ में आया मैं लिखने का प्रयास कर रहा हूं मैंने पूछा था कि यदि मैं उस बोर्ड का डायरेक्टर हूं जिसमें आपको ओलंपिक का कोच नियुक्त किया जाता है तो आप का समर्पण क्या होगा

 उनका जवाब था कि मैं मेडल लाने का उपक्रम करूंगा 

मैंने कहा कि यदि आपको बगैर सैलरी का इस पद पर नियुक्त किया जाता है तब उनका जवाब था

 हां तब भी करूंगा 

मेरा अगला सवाल था आपको तरणताल खुद बनाने होंगे तो उनका जवाब था 

हां मैं अपने पैसे से बना लूंगा 

फिर मेरा सवाल था आपको बच्चे खुद इकट्ठा करने होंगे अच्छे बच्चों का सिलेक्शन करना होगा वह भी अपने खर्चे पर उनका जवाब था

 हां मैं करूंगा 

मैंने कहा कि उन सारे बच्चों के खर्चे खुद उठाने होंगे होंगे उनका जवाब था 

हां 

 फिर मैंने कहा जहां भी वर्ड में ओलंपिक होगा आपको अपने खर्चे पर जाना होगा उन्होंने कहा

 हां

  मैं अपने खर्चे पर लेकर उनको जाऊंगा फिर मेरा सवाल था जीत जाएंगे बच्चे जीत जाएंगे क्रेडिट लेने की बात आएगी वह क्रेडिट मुझे चाहिए तो उनका जवाब था

 हां

   यहीं पर हमें लगा कि वह बिल्कुल हंड्रेड परसेंट समर्पित है वचनबद्ध है अपने प्रति जो उनके होंठ हैं उनके प्रति तो यदि ऐसा समर्पण हमारे वेल्थ क्रिएशन की यात्रा सुगम होती है समर्पित आदमी अपने लक्ष्य से भटकता नहीं यदि भटक गया तो फिर उसका समर्पण अधूरा है इसको पाने के लिए अंदर से आत्म बल की जरूरत होती है आत्मबल हरदम परीक्षा के दौर से गुजरता है हमारे जेहन में हमारे दिमाग में बार-बार सवाल उठता है कि मैं यहां काम कर पाऊंगा या नहीं हमारे दिमाग के एक हिस्से मुझे समझाता है कि मैं नहीं कर पाऊंगा मुझे समझाना है अपने आप को समझाना है कि चुप कर मैं यह काम करूंगा और जैसे ही मैं पहला पल उठाता हूं मैं वेल्थ क्रिएशन की यात्रा पर जाता हूं वही हम जीत जाते हैं



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